Oi Hoi Lyrics Girish Khatiwada

Oi Hoi Lyrics Girish Khatiwada


ओइ होइ पानी पर्यो है

धानको बिटा झार माइली ढिला होला है

ओइ होइ झरी पर्यो है

छाता ओढ सानू माया रुझिएला है

ओइ ओइ ओइ ओइ ओइ

ओइ ओइ ओइ ओइ ओइ

बाउसे ले माटो सम्या, गोरु दौडा बेसरी

साइली कान्छी मेलो मिला, धान रोप नछोडी

रमिते छन हजुरबुबा, हेरिराछन डिल बाट

मिल्ने भए हुत्तिएर भित्र छिर्थे हुलबाट

खित्केर हास सोल्टिना के खबर?

हिलोमा लडाउकी कस्तो लाग्यो रहर

ओइ होइ पानी पर्यो है

धानको बिटा झार माइली ढिला होला है

ओइ होइ झरी पर्यो है

छाता ओढ सानू माया रुझिएला है


ओइ ओइ ओइ ओइ ओइ

ओइ ओइ ओइ ओइ ओइ


छ्यापिदिउ कि हिलो कस्तो कमल झै फुलेकी

धान सबै माथी माथी कता टोलु परेकी?

खाजामा आलु चिउरा, मासु छैन कन्जुसी

छिमेकी को पर्म लाग्या, खित्त हास गुन्द्रुकी

नहेर त्यसरी भुतुक्कै मरुम्ला, सिधै छेड हुने गरि (आहै)

ढाट्या हैन सत्य बिहे गरुम्ला, भेटिसके स्वर्गकी परि (आहै)

कसम धरोधर्म संगै राखुम्ला चिटिक्क सजाइ सयपत्री फुल्सरी

ठेला उठ्ला बरु हत्केला भरी, भिडौला पौरखले बाचुन्जेल गरि

ओइ होइ पानी पर्यो है (आहै)

धानको बिटा झार माइली ढिला होला है

ओइ होइ झरी पर्यो है

छाता ओढ सानू माया रुझिएला है


ओइ ओइ ओइ ओइ ओइ

ओइ ओइ ओइ ओइ ओइ


माटोमा खेल्ने यो मान्छे, कर्म को आशा मा पुग्छ शहरमा

हेरन दौडेर पसेको खेत, रमाउछ हरेक बर्षामा (आहै)

गाउँ घर छोदेर सब शहर पसे, हासो चाहिँ छुट्यो जन्मेको माटोमा

हात गोडा दुख्ला, खित्का नि छुट्ला, पुर्याइदेउ जातोमा ( बास्सै)

तिमी लाई देखेर दिन रात ढल्छ, ओइ होइ

नगर अबेला घाम बिदा माग्ला, ढिला होला होइ

छाडेर जान्न तिमिलाइ नलिकन, ओइ होइ

गहनामा सजाइ, बेहुली बनाइ, झरी पर्यो है


ओइ ओइ ओइ ओइ ओइ

ओइ ओइ ओइ ओइ ओइ

ओइ ओइ ओइ ओइ ओइ

ओइ ओइ ओइ ओइ ओइ

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